जुलाई का महीना आमतौर पर स्कूल और दफ्तरों के लिए बेहद व्यस्त माना जाता है। लेकिन इस बार एक राहत भरी खबर आई है। छत्तीसगढ़ सरकार ने 24 जुलाई 2025, गुरुवार को राज्यभर में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है। इस दिन सभी सरकारी कार्यालय, स्कूल और कुछ निजी संस्थान बंद रहेंगे।
छुट्टी की घोषणा के पीछे कारण सिर्फ आराम नहीं है, बल्कि इससे राज्य की परंपरा और संस्कृति को सम्मान देने की भी पहल की गई है।
क्यों खास है 24 जुलाई?
24 जुलाई को छत्तीसगढ़ में हरेली तिहार मनाया जाएगा। यह त्योहार विशेष रूप से ग्रामीण जीवन, कृषि कार्य और हरियाली से जुड़ा हुआ है। हरेली का शाब्दिक अर्थ ही होता है – “हरियाली”।
यह त्योहार किसानों और कृषि उपकरणों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का प्रतीक है। इस दिन खेतों में काम आने वाले औजारों जैसे – हल, फावड़ा, गैंती, ट्रैक्टर आदि की पूजा की जाती है। साथ ही बैलों और मवेशियों को नहलाकर सजाया जाता है और उन्हें खास भोजन भी दिया जाता है।
परंपरा से जुड़ा एक अहम पर्व
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हरेली तिहार छत्तीसगढ़ की प्राचीन ग्रामीण परंपरा से जुड़ा त्योहार है। यह खासकर खेती की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। जब खेतों में हरियाली छा जाती है, तब यह पर्व पूरे उल्लास और आस्था के साथ मनाया जाता है।
इस दिन गांवों में नकाबपोश दौड़, कुश्ती, छत्तीसगढ़ी गीत-संगीत, और अन्य पारंपरिक खेलों का आयोजन होता है। बच्चे, बुजुर्ग और युवा – सभी लोग पूरे उत्साह के साथ त्योहार में भाग लेते हैं।
छुट्टी का बच्चों को फायदा
सरकार के अवकाश की घोषणा का सबसे ज्यादा लाभ बच्चों को मिलने वाला है। इस दिन राज्य के सरकारी और कई निजी स्कूल बंद रहेंगे। बच्चों को खेलने, घूमने और त्योहार की मस्ती का पूरा मौका मिलेगा।
इसके साथ ही, यह एक शानदार अवसर होगा जब बच्चे अपने घर के बड़े-बुजुर्गों से त्योहार की परंपरा, रीति-रिवाज और संस्कृति को जान पाएंगे। इस तरह, यह छुट्टी सिर्फ आराम का नहीं बल्कि संस्कारों से जुड़ने का अवसर भी बन जाएगी।
जुलाई की अन्य छुट्टियाँ
24 जुलाई के अलावा जुलाई 2025 में और भी छुट्टियाँ मिल रही हैं:
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10 जुलाई: गुरु पूर्णिमा
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17 जुलाई: मुहर्रम
इस तरह छात्रों और कर्मचारियों को तीन बड़े अवकाश मिल रहे हैं, जिससे मानसिक विश्राम के साथ-साथ सांस्कृतिक जुड़ाव का भी मौका मिलेगा।
गुरु पूर्णिमा का दिन तो भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, जहां गुरुजनों को सम्मान देने की परंपरा निभाई जाती है।
मुहर्रम, मुस्लिम समुदाय का एक अहम धार्मिक दिन है, जो त्याग और बलिदान की याद दिलाता है।
रेनी डे की भी संभावना
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जुलाई के महीने में मानसून अपने चरम पर होता है। ऐसे में कई बार भारी बारिश या तूफान की स्थिति में प्रशासन द्वारा रेनी डे घोषित किया जाता है।
इसका उद्देश्य बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है। आमतौर पर यह निर्णय जिला कलेक्टर द्वारा मौसम की स्थिति को देखते हुए लिया जाता है। इस तरह की छुट्टियाँ भले अचानक मिलें, लेकिन ये सरकार की सुरक्षा के प्रति गंभीरता को दर्शाती हैं।
सरकार की सांस्कृतिक पहल
24 जुलाई को हरेली तिहार पर छुट्टी देना सिर्फ एक कैलेंडर की तारीख नहीं है, बल्कि यह सरकार द्वारा अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने की कोशिश है।
छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है जहां अधिकांश आबादी खेती पर निर्भर है। ऐसे में हरेली जैसे त्योहार का सरकारी स्तर पर सम्मान मिलना, किसानों और ग्रामीण समाज के लिए प्रेरणादायक है। इससे गांव-गांव में आत्मसम्मान और अपनी संस्कृति पर गर्व की भावना जागृत होती है।
छुट्टी का उपयोग कैसे करें?
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इस दिन को केवल आराम के रूप में न देखें, बल्कि इसे परिवार के साथ यादगार समय बिताने का अवसर मानें। कुछ शानदार गतिविधियाँ आप इस दिन कर सकते हैं:
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परिवार के साथ पारंपरिक व्यंजन बनाएं
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बच्चों को त्योहार की कहानी और परंपरा बताएं
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गांव के स्थानीय कार्यक्रमों में भाग लें
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खेती-बाड़ी से जुड़ी चीजों को समझें और सम्मान दें
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पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाएं
हरेली तिहार को कैसे मनाएं?
छत्तीसगढ़ में इस पर्व को मनाने के कुछ पारंपरिक तरीके:
गतिविधि | विवरण |
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औजारों की पूजा | हल, फावड़ा, गैंती, ट्रैक्टर आदि की साफ-सफाई और पूजा |
पशुओं का सम्मान | बैलों और अन्य जानवरों को नहलाना, सजाना और विशेष भोजन देना |
लोक खेल | कुश्ती, नकाबपोश दौड़, रस्सी कूद जैसे आयोजन |
सांस्कृतिक कार्यक्रम | छत्तीसगढ़ी लोक गीत, नृत्य और भजन |
निष्कर्ष: एक दिन, कई भावनाएं
24 जुलाई 2025 का दिन सिर्फ छुट्टी नहीं, बल्कि संस्कृति, परिवार और परंपरा से जुड़ने का दिन है। यह दिन बच्चों के लिए मस्ती का, बड़ों के लिए धार्मिक आस्था का, और सभी के लिए एकता और आनंद का संदेश लेकर आता है।
अगर आप छत्तीसगढ़ में रहते हैं तो इस हरेली तिहार को खास बनाइए। परिवार के साथ समय बिताइए, बच्चों को अपनी परंपराएं सिखाइए और अपनी मिट्टी से जुड़े रहिए।